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शिव पुराण कथा से जुड़े 10 नियम
पहला नियम
जो भी शिव भक्त यह कथा का पाठन करना शुरू करते है, उन्हें कथा वाचन के दिनों में केश और नाखुन नही कटवाने चाहिए। उन्हें कथा आरम्भ करने से पहले ही यह कार्य कर लेना चाहिए।
दूसरा नियम
ऐसा भोजन ना करे जो देर तक नही पचे। आप बांसी खाने और मसूर की दाल का सेवन ना करे।
तीसरा नियम
शिव पुराण की कथा सुनने और वचने वाले को ब्रह्मचर्य के नियमो का पालन करना चाहिए। उन्हें कथा के अंत में ही भोजन करना चाहिए और रात्रि में धरा पर ही सोना चाहिए।
चौथा नियम
महापुराण कथा को रूचि और शिव भक्ति के साथ सुने। कथा के बीच में अनावश्यक बाते ना करे और ना ही उठे।
पांचवा नियम
शिव के गुणगान करती हुई कहानी को अकेले में मनन करे, ऐसे दूसरे भक्तो को सुनाये और शिव भक्ति की गंगा में दूसरों को भी नहलाए। यह अति पूण्य का कार्य है।
छठा नियम
जिन्होंने कथा का व्रत धारण किया हो उन्हें अपने गुस्से और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए।
किसी की निंदा और कठोर वचन ना बोले।
सातवां नियम
जब भी कथा करे, सबसे पहले शिव महापुराण को सिर से लगाएं। कोई भूल चूक हुई हो तो भोलेनाथ से उसके लिए क्षमा मांगे। इस पुराण को लकड़ी की पट्टिका पर रख कर पाठ करे।
आठवां नियम
तामसिक भोजन और नशे के सेवन से दूर रहे| जैसा भोजन होगा, वैसे आपके विचार होंगे इसी कारण सादा और पौष्टिक भोजन ग्रहण करे
नौवा नियम
कथा समाप्त हो जाने पर भूखे व्यक्तियों को भर पेट भोजन कराएं। जरुरतमंदों को दान दक्षिणा दें।
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दसवां नियम
सावन मास शिव भक्ति के लिए सबसे उत्तम है अत: ध्यान रखे यदि आपने कथा इस महीने शुरू की है तो इसका फल कई गुणा मिलता है।
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